सद्भाव जगाये दीपावाली सद्भाव जगाये दीपावाली
विविध रूप त्यौहार के, देख अनेकों रंग सभी धर्म हैं मानते, सबके अपने ढंग। विविध रूप त्यौहार के, देख अनेकों रंग सभी धर्म हैं मानते, सबके अपने ढंग।
यह दीपावली दीपों की महफिलें बड़ों के लिये है हम तो इसे शामियानों में बिछाने खातिर आये हैं।। यह दीपावली दीपों की महफिलें बड़ों के लिये है हम तो इसे शामियानों में बिछाने ख...
ताकि लुप्त न हो इसकी प्रजाति एक दिन ! ताकि लुप्त न हो इसकी प्रजाति एक दिन !
सोच लो अब क्या चाहिए तुम्हें, मिठाई या पिटाई? सोच लो अब क्या चाहिए तुम्हें, मिठाई या पिटाई?
दहलीज पे भी रख देना जिन मकानों में कोई रहता नहीं है। दहलीज पे भी रख देना जिन मकानों में कोई रहता नहीं है।